शहीद वीरांगना आशादेवी गुर्जराणी - Veerangna Asha Devi Gurjarani
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Veerangna Ashadevi Gujarani - 1857 Revoution of India |
भारत माँ को अपने सपूतों पर गर्व हैं, जिन्होंने उनकी मर्यादा की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व लूटा दिया। इतिहास में ऐसे कई लाल हुए हैं, जिन्होंने अपनी जान से भी अधिक महत्व इस देश की आजादी को दिया। यही कारण है कि कृतज्ञ भारत उन्हें हमेशा याद रखता आया है और आगे भी रखेगा।भारतीयों ने ब्रितानियों की दासता से मुक्ति प्राप्त करने हेतु सर्वप्रथम प्रयास 1857 ईं. में किया था, जिसे प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नाम से भी जाना जाता है। इस गदर की शुरूआत मेरठ से दस मई 1857 को कोतवाल धनसिहँ गुर्जर ने की ।
अँग्रेज़ी सत्ता को नष्ट करने का पहला समूल प्रयास 1857 ई. में ही हुआ था, जिसमें न केवल क्रांतिकारियों ने अपितु भारतीय जनता ने भी खुलकर भाग लिया था। अँग्रेज़ और कुछ भारतीय चाटुकार इतिहासकार भले ही अपनी संतुष्टि के लिए सिपाही विद्रोह मानते हों, परंतु वास्तव में यह जन मानस का विद्रोह था। इसमें असंख्य लोग मारे गए। कुछ को भयंकर यातनाएँ दी गई, कुछ को ज़िंदा अग्नि देव का भेंट चढ़ा दिया गया, परंतु भारत भूमि इससे विचलित नहीं हुई।
जिन महानतम विभूतियों ने जीवन पर्यंत याद किया जाता है उनमें से एक थी मुजफ्फरनगर की कल्श्सान कुल की वीरांगना आशादेवी गुर्जराणी है।पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फनगर( अब शामली जिला ) के कल्श्सान खाप की वीर युवती ( जन्म - 1829 ) का मानना था कि आजादी की लडाई मे सिर्फ सैनिको का लडना ही काफी नही है बल्कि समाज के हर तबके के लोगो को कंधे से कंधा मिलाकर जंगे आजादी मे शामिल होना चाहिए । इस क्रान्तिकारी सोच के तहत गुर्जरो के गाव की इस साधारण सी गुर्जर महिला ने महिलाओ को सगठित कर अपनी सैना बना ली ।
1857 के संग्राम मे उस वीरांगना युवती ने अग्रेजो को काफी मश्किलो मे डाला ओर आस - पास के क्षेत्रो मे अपना दबदबा कायम करलिया ।
आशादेवी गुर्जराणी के संगठन की ताकत का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता हे कि सगठन की 250 महिला सैनिको की शहादत के बाद ही अग्रेज सेना आशादैवी को युद्धभूमि मे जिन्दा पकड सकी थी । ग्यारह अन्य महिला सैनिको के साथ बर्बर अग्रेजो ने आशादेवी को फासी पर लटका दिया । अपनी बहादुरी से सोये हुए भारत मे शोर्य ओर पराक्रम का आशादेवी गुर्जराणी ने एक बार फिर नया सचांर किया ।
Veerangna Asha Devi Gujari / वीरांगना आशा देवी गुर्जराणी |
सन्दर्भ :--
सुरेश नीरव, कादम्बिनी :
अगस्त - 2006 पृष्ट - 82
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